एक जानवर है,
इंसान कहलाता है।
जो कमाता है,
और भूखे भी खुद मर जाता है ।
कपडे पहनता है,
और फाड़ कर, इज़्ज़त भी लूट जाता है ।।
एक जानवर है,
इंसान कहलाता है।
रिश्ते रखता है,
और उन्हें ही, शर्मशार कर जाता है।
खुद के उगाये अन्न में,
खुद ही ज़हर मिलता है।।
एक जानवर है,
इंसान कहलाता है।
जाति-धर्म के नाम पर,
हर पल रक्त बहता है।
मारने को खुद को,
तरह-तरह के हथियार बनता है।।
एक जानवर है,
इंसान कहलाता है।
Image Credit – Google
कुछ लाइनें हैं
जो कविता कहलाती हैं
कितनी बारीकी से
कड़वा सच कह जाती हैं
और कवि के सोच की
गहराई बखूबी दर्शाती हैं |
बहुत बहुत साधुवाद |
LikeLiked by 2 people
Sukriya sir , for reading and sharing your thoughts
LikeLiked by 1 person
बहुत ही खूबसूरती से इंसान रुपी जानवर का चित्रण किया है।
LikeLiked by 1 person
Sukriya Rajni ji 😇
LikeLiked by 1 person
सुंदर रचना ।
LikeLiked by 1 person
Sukriya 😇
LikeLike
बेहतरीन कविता लिखी है आपने।
एक जानवर है,
इंसान कहलाता है।
हो सकता है जानवर भी दया कर जाए,
पर्वत भी पिघल जाए,
मगर सृष्टि की एक कृति है जो
सब का काल कहलाता है,
वो कोई और नहीं
वो इंसान कहलाता है।
LikeLiked by 2 people
Sukriya ☺️☺️
LikeLike
हां जी!! बेहद खूबसूरत कविता है-पर सोचिये जरा कि इंसान को अब जानवर कहने में भी शर्म आती है।जानवरों का अपमान नजर आता है।मनुष्य ने तो जानवरों को भी पीछे छोङ दिया है अपनी हैवानियत से।क्या मैं सही कह रही हूं।
LikeLiked by 2 people
Thank u Aruna ji
And haan i totally agree with u, shi kaha aapne
LikeLike
Thanks,dear!! N welcome
LikeLiked by 1 person
Well said
LikeLiked by 1 person
Thank u
LikeLike
Sb already itna kuch bol chuke hai.., mere liye to kuch bacha hi nhi…😅 I’ll sum up with just 2 words.. wonderfully explained the reality. Splendid. Hope to see more from you 🙂
LikeLiked by 1 person
Thank u so much Astha.
Your words really means a lot
LikeLiked by 1 person
Reading this after reading your recent poem. You surely are not one of them…. keep it up😁😊
LikeLiked by 1 person
Thanks madam☺️☺️☺️
LikeLike
waah !!!!
LikeLiked by 1 person
Thank u
LikeLiked by 1 person