यूँ तो खामोश हूँ,
पर कुछ बात उमड़ती है ।
कभी-कभी ।।
सो जाता हूँ अक्सर,
बिन सोये कुछ रात गुजरती है ।
कभी-कभी ।।
पता है तुम्हे,चमक है तुम में ।
जो मेरे आँखों में चमकती है,
कभी-कभी ।।
एक खुशबू है तुम में ।
जो मेरी रूह में महकती है,
कभी-कभी ।।
कुछ बात है तुम में ।
जो मेरी ख़यालात से मिलती है,
कभी-कभी ।।
बंजारन हो तुम ।
जो मेरे मन में भटकती है,
कभी-कभी ।।
दीपक की ज्योति हो तुम ।
जो अँधेरा भगाती है मेरा,
कभी-कभी ।।
परी हो तुम ।
जो मेरे सपनो में उड़ती हो,
कभी-कभी ।।
वैसे तो ज़ज्बात बहुत है ।
पर अब लिखता हूँ बस,
कभी-कभी ।।